Thursday 3 May 2012

रायसीना हिल्स के करीब दादा



pranab mukherjee come close to rashtrapati bhawan

नई दिल्ली [राजकिशोर]। पिछले आठ वर्ष से संप्रग सरकार को मुश्किल में डालने वाले हर सवाल का कांग्रेस के पास सिर्फ एक ही जवाब रहा है, दादा! यूपीए ने हर तरह के संकट में मौजूदा वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी को आगे किया और ज्यादातर मौकों पर उसे निराश भी नहीं होना पड़ा। अब राष्ट्रपति का नाम तय करने पर हालात पेचीदा हैं, तो एक बार फिर प्रणब मुखर्जी ही संकटमोचक बन सकते हैं।
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के मुखर दखल के बाद प्रणब फिलहाल रायसीना हिल्स के ताज के सबसे करीब पहुंच गए हैं। एक ओर
माकपा को प्रणब दा के नाम पर कोई ऐतराज नहीं है तो वहीं सपा मुखिया मुलायम सिंह ने भी उनके नाम पर हामी भरी है। उनका कहना है कि राष्ट्रपति पद पर कोई राजनीतिक व्यक्ति ही होना चाहिए। उधर,
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज देर शाम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन से मिलने वाली हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर उसे तृणमूल का समर्थन मिलेगा। समझा जा रहा है कि मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा होगी। कांग्रेस को उम्मीद है कि इस पर उसे तृणमूल का साथ मिलेगा।
सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव को लेकर उनका रुख काफी हद तक इस पर निर्भर करता है कि सरकार उनकी राज्य की ऋण माफी की मांग मानती है या नहीं।
इसी तरह, उपराष्ट्रपति पद के लिए हामिद अंसारी की जगह एक मुस्लिम चेहरे के रूप में मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी का नाम गंभीरता से चर्चा में है। वैसे, प्रणब के नाम पर आलाकमान के मन में कुछ हिचक थी। एक तो यूपीए सरकार में प्रणब की भूमिका के मुताबिक सरकार को कोई विकल्प नहीं दिख रहा। दूसरे, प्रणब के कुछ ज्यादा ही राजनीतिक होने का मुद्दा भी उनके खिलाफ जा रहा था। इसलिए, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का नाम आगे बढ़ाया गया।
कर्ण सिंह के नाम पर भी चर्चा हुई, लेकिन मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य और राहुल गांधी के समर्थन के बाद प्रणब का दावा मजबूत होता जा रहा है। अब काफी कुछ दारोमदार गुरुवार को ममता बनर्जी और सोनिया गांधी की बैठक पर टिका है। अभी तक तृणमूल ने राष्ट्रपति के लिए प्रणब का समर्थन नहीं किया है, लेकिन वामपंथी अतीत वाले अंसारी के पक्ष में ममता के खड़े होने में मुश्किल दिखाई पड़ रही है। फिर बंगाली गर्व का भी मुद्दा है। कांग्रेस के एक शीर्ष नेता ने माना भी कि दादा के नाम पर यूपीए के घटक दलों और विपक्ष समेत कांग्रेस के बड़े वर्ग के सहमत होने पर कोई संशय नहीं है। अगले लोकसभा चुनाव में सियासी हालात के मद्देनजर राष्ट्रपति की भूमिका खासी अहम होगी। ऐसे में अगर विश्वास के संकट की बात न हो तो दादा से योग्य आलाकमान की नजर में कोई है नहीं। अगर प्रणब का रायसीना हिल्स जाना तय होता है, तो कांग्रेस उपराष्ट्रपति पद पर किसी मुस्लिम चेहरे को ही भेजेगी। इस कड़ी में मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी का नाम चर्चा में है। कुरैशी के नाम पर यूपीए के घटक दलों के साथ-साथ उन्हें बाहर से समर्थन दे रहे दल भी राजी हैं।
Source :jagran.com

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