Thursday 3 May 2012

कड़वी होगी चीनी की 'मिठास'





 
नई दिल्ली।। अगर आप निकट भविष्य में महंगाई से राहत पाने का मंसूबा पाले बैठे हैं, तो यह पूरा नहीं होने वाला है। सब्जी, तेल, दूध और खाने-पीने की तमाम चीजों के बाद अब चीनी की कीमत भी आसमान छू सकती है। दरअसल, सरकार ने चीनी निर्यात पर लगी पाबंदी हटा ली है। निर्यात पर से पाबंदी हटने की सुगबुगाहट भर से पिछले 4-5 दिनों में प्रति क्विंटल चीनी की कीमत 50-60 रुपये बढ़ गई है। इसके अलावा सरकार ने प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य की बंदिश भी खत्म कर दी है। यानी अब कारोबारी अपने हिसाब से प्याज की कीमत तय करके उसका निर्यात कर सकेंगे।
कृषि मंत्री शरद पवार लंबे समय से चीनी निर्यात की मंजूरी देने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे थे। बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई। पवार का तर्क है चीनी निर्यात की मंजूरी से किसानों के गन्ने के बकाए का भुगतान समय से किया जा सकेगा। मिलों पर किसानों का कुल 10 हजार करोड़ रुपये बकाया है। अकेले उत्तर प्रदेश की मिलों पर पांच हजार करोड़ रुपये की बकायेदारी है।
बैठक में चीनी निर्यात के लिए कोटा सिस्टम खत्म करने का भी फैसला किया गया। चीनी मिलों का निर्यात कोटा उनके तीन साल के उत्पादन के आधार पर तय होता था, लेकिन रोक हटने के बाद चीनी मिलें जितना चाहे उतना चीनी निर्यात कर सकती हैं। जो मिलें चीनी निर्यात नहीं कर पाती हैं, वे अपना कोटा किसी अन्य निर्यातक को बेचकर फायदा कमा लेती हैं।
सरकार के इस फैसले पर पार्टियों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। समाजवादी पार्टी के नेता मोहन सिंह ने कहा है कि भारत सरकार ने बड़े मिल मालिकों के लॉबी के दबाब में यह फैसला किया हैं। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में जब चीनी दाम कम होते हैं तो चीनी मालिक कभी भी एक्सपोर्ट नहीं करते लेकिन जब दाम ज्यादा होते हैं तभी एक्सपोर्ट करते हैं। शाहनवाज हुसैन ने कहा कि बीजेपी ऐसा मानती है, चीनी की कीमत काबू में रहे।

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